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दिल के चंद एहसास



हम सनम की चाह में, कुछ ऐसे तड़पते हैं
जैसे फूलों की चाह में, भंवरें मचलते हैं।। 
पर क्या करें हम, उन्हें पा नहीं सकते
क्यूंकि हम उन पर तो, वो किसी और पे मरते हैं।।


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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3 Comments

Dilawar Singh

07-Feb-2024 12:14 PM

बहुत खूब 👌👌

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Sachin dev

17-Dec-2022 04:09 PM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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Gunjan Kamal

17-Dec-2022 02:39 PM

बेहतरीन

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